Maithili Sharan Gupt Ka Jeevan Parichay || मैथिली शरण गुप्त का जीवन परिचय

द्विवेदी युग के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि Maithili Sharan Gupt का जन्म 3 अगस्त 1886 को उत्तर प्रदेश के चिरगांव नामक गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम सेठ राम चरण और माता का नाम काशीबाई था। इनके पिता कनकलता उपनाम से कविता लिखते थे। अपने पिता में नक्सो कदम पर चलते हुए ही मैथिली शरण गुप्त ने कविताओं में रुचि दिखानी शुरू की। महज १२ वर्ष की आयु में इन्होने ब्रजभाषा में कविताओं की रचना की शुरुवात की। इस दौरान इनकी मुलाकात महावीर प्रसाद द्विवेदी से भी हुए। महावीर प्रसाद द्विवेदी उस समय की सबसे प्रसिद्ध पत्रिका सरस्वती का संपादन करते थे। इस पत्रिका में Maithili Sharan Gupt ki Rachna और मैथिली शरण गुप्त ने अपनी कविताएं देनी शुरू की। साल 1895 में इन्होने श्रीमती सरजू देवी से विवाह कर लिया। इनके बेटे का नाम उर्मिल चरण गुप्ता है।

Maithili Sharan Gupt की शिक्षा

Maithili Sharan Gupt ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव चिरगांव में स्थित राजकीय विद्यालय में ही पूरा किया। उसके बाद आगे की शिक्षा के लिए हो झांसी के मैकडॉनल्ड हाई स्कूल गए। यहा उनके पिताजी ने उनका नाम अंग्रेजी पढ़ने के लिए लिखवा दिया था। लेकिन उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता था, इस वजह से 2 वर्ष बाद वापस आ जाए। शुरू के दिनों में इनका मन पढ़ाई में बिलकुल नही लगता था। वे खेल कूद और मनोरंजन की चीजों में लगे रहते थे। ये अपने मित्रो के साथ इधर उधर घुमा करते थे। इनके इस आदत की वजह से ही, इनके पढ़ाई का प्रबंध घर पर ही कर दिया गया। इस दौरान उन्होंने हिंदी संस्कृत और बांग्ला साहित्य का अध्ययन किया।

मैथिली शरण गुप्त का साहित्यिक परिचय

Maithili Sharan Gupt Ka Jeevan Parichay का वर्ण हम ऊपर कर चुके हैं याह हम उनके साहित्यक जीवन के बारे में जानेंगे| पढ़ाई लिखाई में मन ना लगने की वजह से मैथिली शरण गुप्त की आगे की पढ़ाई घर पर ही हुई। इन्होंने हिंदी, बांग्ला और संस्कृत साहित्य का अध्ययन किया। इन्होंने श्रीमद भगवत गीता रामायण और महाभारत को घर पर लाकर इसको पढ़ा। इसके बाद 12 वर्ष की छोटी सी उम्र में ही मुंशी अजमेरी के मार्गदर्शन में ब्रजभाषा में कविताएं लिखना शुरू किया। इसके बाद आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के कहने पर इन्होंने सरस्वती पत्रिका के लिए भी लिखना शुरू किया।

इनके द्वारा रचित पहले काव्य संग्रह का नाम रंग में भेद था तो वही दूसरी काव्य संग्रह का नाम जयद्रथ था। इसके अलावा Maithili Sharan Gupt ने बंगाली काव्य ग्रंथ मेघनाथ वध का अनुवाद भी ब्रज में किया। सन 1912 में स्वतंत्रता आंदोलन से प्रभावित होकर इन्होंने भारत भारती लिखा और इसका प्रकाशन कराया। ‌ इनके द्वारा लिखी गई या कविता काफी प्रचलित हुई और उन्हें इसके लिए काफी नाम कमाया। मैथिलीशरण गुप्त ने साकेत और पंचवटी जैसे लेख को भी लिखा और प्रकाशित कराया।‌

इसी दौरान मैथिली शरण गुप्त महात्मा गांधी जी के भी करीब आ गए थे और सन 1932 में महात्मा गांधी ने इन्हें राष्ट्रकवि की उपाधि प्रदान की। इसी वर्ष इन्होंने यशोधरा भी लिखा।

Maithili Sharan Gupt के काव्य की विशेषता

मैथिली शरण गुप्त के द्वारा रचित काव्य में राष्ट्रीय सांस्कृतिक विशेषताएं झलकती थी। इनके काव्य में राष्ट्रीय भावना की सशक्त अभिव्यक्ति होती थी। राष्ट्रीय भावना की अभिव्यक्ति का एक रूप मातृभूमि प्रेम और इसके अंतर्गत स्तुति, वंदना, अर्चना, आराधना की भावना से संबंधित गीत और कविताएं आती है। इनके द्वारा रचित भारत-भारतीय उस युग के राष्ट्रीय जागरण का प्रतिनिधित्व करने वाली काव्य रचना थी। इसके अलावा इनके रचनाओं में महिलाओं को लेकर एक अलग ही दृष्टिकोण था। इन्होंने यशोधरा, उर्मिला और कैकयी के माध्यम से नारी चित्रण किया है।

स्वतंत्रता आंदोलन में सहयोग

Maithili Sharan Gupt शुरू से ही स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े हुए थे।‌ वह अपने लेखों और कविताओं के माध्यम से लोगों के अंदर राष्ट्र भावना जागृत करने का काम करते थे। इसी दौरान स्वतंत्रता आंदोलन के चलते एक बार जेल भी गए। इस दौरान इन्होंने अपने कविताओं और लेखक के माध्यम से लोगो के अंदर राष्ट्र भावना उजागर करने को पुरजोर कोशिश की। इनके कविताओं से एक लगा तरह को ऊर्जा का संचार होता है। इनके हर एक कृति से जनमानस का मन प्रफुल्लित हो जाता है।

Maithili Sharan Gupt ki Rachna

प्रमुख कृतियां

मैथिली शरण गुप्त ने अपने जीवन काल में 52 से भी अधिक काव्य रचनाएं को प्रकाशित कराया था। 

मैथिली शरण गुप्त खड़ी बोली में कविताएं लिखकर खड़ी बोली के स्वरूप के निर्धारण एवं विकास में काफी सहयोग किया। इनके द्वारा रचित भारत भारती, पंचवटी, झंकार, यशोधरा, साकेत, जयभारत और विष्णु प्रिया आदि इनके प्रमुख काव्य ग्रंथ है।

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Maithili Sharan Gupt की प्रमुख किताबे

Maithili Sharan Gupt ने कई किताबों को भी लिखा था जिसमें से साकेत, भारत भारती, पंचवटी, जयद्रथ वध और यशोधरा प्रमुख है

मैथिली शरण गुप्त की प्रमुख कविताएं

  • हम कौन थे
  • कैकई का अनुताप
  • प्रियतम तुम श्रुति पथ से
  • किसान
  • भारतवर्ष
  • भारत का झंडा
  • नर हो, न निराश करो मन को
  • चारु चंद्र की चंचल किरणें

पुरस्कार और उपलब्धियां

मैथिली शरण गुप्त को साहित्य की दिशा में उत्तम कार्य हेतु आगरा तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने उन्हें डी लिट की उपाधि से सम्मानित किया था। ‌इसके अलावा 1952 में मैथिलीशरण गुप्त राज्यसभा के सदस्य भी बने थे। वर्ष 1954 में मैथिली शरण गुप्त को पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें हिंदुस्तान अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। इनकी जन्म तिथि 3 अगस्त को हर वर्ष कवि दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

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मैथिली शरण गुप्त का अंतिम समय

मैथिली शरण गुप्त की मृत्यु 12 दिसंबर 1964 को उनके जन्म स्थल चीरगांव पर ही हुआ। उनके मृत्यु से हिंदी साहित्य को काफी क्षति हुई जिसका भरना नामुनकिन सा है। इनकी मृत्यु के साथ ही हिंदी साहित्य का एक अध्याय समाप्त हुआ। हिंदी साहित्य को Maithili Sharan Gupt ने नई ऊंचाई प्रदान की, भारत के साथ साथ इनके लेखनी से पूरे विश्व में हिंदी का प्रचार प्रसार हुआ।

मैथिली शरण गुप्त से जुड़े कुछ जानकारियां :-

1. मैथिली शरण गुप्त किस युग के कवि है?

2. मैथिली शरण गुप्त की पहली किताब का नाम क्या है?

3. मैथिली शरण गुप्त को राष्ट्र कवि की उपाधि किसने दी थी।

4. मैथिली शरण गुप्त की रचना का मुख्य स्वर क्या है?

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