Cabinet mission योजना से आप क्या समझते हैं।

द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद से ब्रिटिश सरकार की हालत बहुत खराब हो गई थी। इसके साथ ही भारत में बढ़ते हुए विरोध प्रदर्शनों की वजह से ब्रिटिश सरकार अब भारत की राजव्यवस्था को संभाल नहीं पा रही थी। इसी वजह से साल 1946 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री एटली ने सत्ता को भारतीयों को हस्तांतरण करने के लिए एक कमिटी का गठन किया था। इस कमिटी का का गठन ब्रिटेन में किया गया था और 24 मार्च 1946 को इसे भारत भेज दिया गया था। इसे ही Cabinet Mission योजना का नाम दिया गया था। यह एक तीन सदस्यीय टीम थी जिसका मुख्य कार्य सत्ता को हस्तांतरण करने के साथ साथ इससे जुड़े उपाय और संभावनाओं को तलाशने का था। हालाकि आपसी राय न बनने की वजह से इसे सही से लागू नही किया जा सका। 

Cabinet mission ke uddesh

कैबिनेट मिशन का उद्देश्य पूर्व निर्धारित था, जिसे तीन सदस्यीय दल भारतीयों के सामने पेश करने जा रही थी। इसके मुख्य उद्देश्य थे:

  • भारत में संविधान सभा का गठन करना।
  • भारत का धर्म के आधार पर विभाजन करना।
  • संविधान सभा के सदस्यों को चुनने के लिए नियम का निर्धारित करना। कैबिनेट मिशन का प्रस्ताव था कि इसे अप्रत्यक्ष रूप से जनता के द्वारा चुनने का कार्य किया जाए। 
  • विधानसभा के एक सदस्य को 10 लाख की आबादी पर चुना जाए।
  • भारतीय संविधान सभा में कुल 389 सदस्य होंगे और इनमें से 296 सदस्य को निर्वाचित किया जाएगा, तो वही 93 सदस्य मनोनीत होंगे। जिसमें से 14 सदस्य राजस्थान से सम्मिलित होंगे। 

Cabinet mission members

Cabinet Mission प्लान को सफल बनाने के लिए इसमें तीन सदस्यों को रखा गया था। पैथिक लॉरेंस, स्टैफोर्ड क्रिप्स तथा एवी अलेक्जेंडर इसके सदस्य थे। इसके अलावा लॉर्ड वेवेल कैबिनेट मिशन के सदस्य तो नहीं थे लेकिन इस योजना से जुड़े हुए थे। इन तीनों को ही सारी जिम्मेदारी दी गई थी। इन्हे ही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री एटली के द्वारा सारी जिम्मेदारी देकर भारत भेजा गया था।

अंतरिम सरकार का गठन

तमाम मतभेदों के बावजूद वर्ष 1946 में चुनाव कराए गए हैं, जिसमें कांग्रेस ने 102 सीटों में 59 सीट हासिल किया तो वही मुस्लिम लीग ने 30 सीट हासिल किया। इस परिणाम से मुस्लिम लीग को घोर निराशा हाथ लगी।  इसके बाद 8 अगस्त 1946 को कांग्रेस ने कार्यसमिति का प्रस्ताव पारित किया और अंतिम सरकार बनाने की योजना को स्वीकार किया। इस सरकार ने 2 सितंबर 1946 को अपने कार्यभार संभाला और इसके प्रधानमंत्री जवाहरलाल बने। फिर वायसराय के सलाह पर मुस्लिम लीग भी सरकार में शामिल हुई,   लेकिन इन्होंने समर्थन देने से बिल्कुल मना कर दिया। इसके बाद बढ़ते मतभेद की वजह से आखिरकार Cabinet mission ने भारत विभाजन का रास्ता सुझाया। इस प्रकार भारत पाकिस्तान का विभाजन हुआ।

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Cabinet mission FAQs

1. कैबिनेट मिशन भारत कब आया?

2. कैबिनेट मिशन योजना के अध्यक्ष कौन थे

3. कैबिनेट मिशन में कितने सदस्य थे?

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