Diwali 2022 | Diwali Kab Hai | पूजा के लिए शुभ मुहुर्त

दिवाली जिसे दीपावली भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्योहार है। प्रति वर्ष यह कार्तिक मास के अमावस्या को मनाया जाता है। रोशनी, दिए और उजाले का यह त्योहार सुख शांति और समृद्धि का भी त्योहार है। इस त्योहार में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा होती है। इस दिन पूरे घर को दिए से सजाया जाता है। लोग अपने घरों को अलग अलग तरह के लाइट्स और झालरों से सजाते है। हर तरफ रोशनी और उजाला होता है। बच्चे और बड़े सभी इस दिन पटाखे जला कर खुशियां मनाते है। इसके साथ लोग एक दूसरे को मिठाई बाट कर भी इस त्योहार की सुभकामनाए देते है। Diwali 2022 न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के कई देशों में बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है। यह हिंदुओ का एक प्रमुख और अहम त्योहार है। 

दिवाली Diwali 2022 Date तिथि और मुहूर्त

हर वर्ष दिवाली कार्तिक महीने की अमावस्या को मनाया जाता है। इस साल यानी वर्ष Diwali 2022 में यह शुभ दिन 24 अक्टूबर, सोमवार को है। इसके साथ ही पूजा के लिए शुभ मुहुर्त संध्या 7.16pm से लेकर 8.23pm तक है। इस बार छोटी दिवाली भी इसी दिन यानी 24 अक्टूबर को जी है। इस अवधि में दौरान आप माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा कर सकते है। ऐसी मान्यता है की दीपावली के दिन सच्चे हृदय से माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने से सारे कष्ट दूर हो जातें है तथा धन संपत्ति और समृद्धि में वृद्धि होती है। 

इस त्योहार की महत्ता इस बात से ही लगाई जा सकती है की इसका इंतजार लोग पूरे साल करते है। लोग इस दिन नए-नए कपड़े पहन कर एक दूसरे को दिवाली की सुभकामनाये देते है। इसके साथ ही लोग एक दूसरो को मिठाई देकर भी दिवाली की सुभकाननाए देते है। बच्चे और बड़े इस दिन कई तरह के पकवान का आनंद भी लेते है। 

दिवाली की पूजन विधि

कोई भी पूजा विधि से किया जाए तभी वह एक सार्थक पूजा कहलाता है। दिवाली भी हमे विधि विधान के साथ करना चाहिए। इस बार Diwali 2022 का त्योहार त्योहार 24 अक्टूबर को मनाया जा रहा है और इसकी पूजन विधि कुछ इस प्रकार है। Panch Tatva के बारे में यहाँ पढ़े|

दिवाली के दिन घर को साफ सुथरा कर दे क्युकी कोई भी देवी देवता साफ सुथरे जगह पर ही निवास करते है। घर को अपने रुचि के अनुसार सजाए, घर के द्वार पर रंगोली बनाएं। पूजा के स्थल पर एक चौकी रखे जिसपर भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर को रखें। पास में किस पात्र ने जल रख दे, इसके बाद भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की मूर्ति को तिलक लगाए। इसके बाद प्रसाद का भोग लगाके आरती और वंदना करे। कोशिश करे की पूजा और आरती में सपरिवार सामिल हो। पूजन की विधि के बाद अपने तिजोरी और बहीखातो की भी पूजा करे। इसके बाद सभी विधि विधान से वंदना करने के बाद प्रसाद को सबमें बाटे। जरूरतमंद और बेसहारा लोगों को भी प्रसाद और दक्षिणा दे। ऐसा करने से मां सरस्वती और भगवान गणेश की कृपा आपपे बनी रहती है।

दिवाली का पौराणिक इतिहास

हर त्योहार के पीछे एक आस्था और विश्वास होता है। इस आस्था और विश्वास के मदद से ही हम किसी त्योहार को मानते चले जाते है। ऐसा माना जाता है की दिवाली के दिन ही भगवान श्री राम 14 वर्षो के कठिन वनवास के बाद अपने भाई लक्ष्मण और अपनी पत्नी सीता के साथ अयोध्या को लौटे थे। इनके साथ राम भक्त हनुमान भी अयोध्या को आए थे। अमावस्या की रात होने के कारण पूरा अयोध्या अंधेरे से लिपटा हुआ था। इसके बाद जब अयोध्या वासियों को इस बात को खबर हुई की प्रभु श्री राम, लक्ष्मण और सीता अपने वनवास को समाप्त करके वापस आ रहे है तो अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर और फूलो की वर्षा करके उनका स्वागत किया। इसके बाद से ही इस दिन को दिवाली के नाम से मनाया जाता है। इस दिन सभी अपने घर में और घर के चारो और दिए जलाकर दिवाली का त्योहार मनाते है। इस दिन को श्री राम के आवागमन के तौर पर भी मनाया जाता है। 

दिवाली और पटाखे 

दिवाली और पटाखों का संबंध ठीक वैसे ही है जैसे होली और रंगो का। दिवाली के कुछ सप्ताह पहले से ही बाजार पटाखों से सजे दिखाई परते है। चारो और पटाखों की दुकान लगी हुए होती है। चारो तरफ चहलकदमी दिखाई परता है। बच्चे हो या बड़े हर कोई पटाखे जलाता है और खुशियां मानता है। दिवाली के दिन पूरा आसमान रंग बिरंगी पटाखों से सजा दिखाई परता है। बच्चे घिरनी, रॉकेट, अनार जैसे पटाखों का खूब आनंद लेते हैं। पूरा आसमान रंग बिरंगे पटाखों से सराबोर दिखता है। इसके साथ में बच्चे आवाज करने वालें पटाखों का भी आनंद लेते है।

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दिवाली और सामाजिक कुरीतियां

Diwali 2022 रोशनी और दियो का त्योहार है। इस दिन चारो और रोशनी और उजाला फैला हुआ दिखाई परता है। बच्चे पटाखों के साथ इस त्योहार को मनाते है। लोग एक दूसरो को मिठाई देते हुए इस त्योहार की सुभकामनाएं देते है। लेकिन कुछ असामाजिक लोग इतने अच्छे त्योहार में भी गलत काम करने से पीछे नहीं हटते। वे इस दिन जुए खेलते है और शराब का सेवन करते है। कुछ लोग इस दिन अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाले कार्य जैसे टोना टोटका, काला जादू जैसी चीजे भी करते है। कुछ शरारती तत्व पटाखों का भी गलत प्रयोग करते है जैसे ज्यादा आवाज वाले पटाखे जलाना, जानवरो के ऊपर पटाखे देखना इत्यादि। लेकिन हमे इन सभी चीजों से दूर हट कर दिवाली के त्योहार को सबके साथ दिए जलाकर, हर्ष और उल्लास के साथ मनाना चाहिए। 

अन्य धर्मों में दिवाली का महत्व

दिवाली का त्योहार न सिर्फ हिंदी धर्म के लोग मानते है बल्कि इसे सीख और जैन धर्म के लोग भी मानते है। जैन धर्म के अनुसार इसी दिन जैन धर्म के 24 वे तीर्थंकर महावीर स्वामी ने मोक्ष को प्राप्त किया था। इसलिए इस दिन को वे लोग मानते है। इसी के साथ सिख धर्म के लोग भी दिवाली का त्योहार भी बड़े जोर शोर से मनाते है। सिख धर्म में इसी दिन अमृतसर के गोल्डन टेंपल (स्वर्ण मंदिर) का निर्माण हुआ था।

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