Maulik Adhikar Kya Hai | मौलिक अधिकार किसे कहते है?

Maulik Adhikar Kya Hai | मौलिक अधिकार क्या है?

मौलिक अधिकार जिसे हम अंग्रेजी में fundamental rights के नाम से भी जानते है। ये ऐसे अधिकार होते है जो हमे सविधान के द्वारा दिए जाते है। Maulik Adhikar बिना किसी भेद भाव के देश के प्रत्येक नागरिक को दिए जाते है। इन अधिकारों का उलंघन देश की सरकार या कोई भी व्यक्ति नही कर सकता है। हमारे संविधान में पार्ट 3 में इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। इसे संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से भारतीय संविधान में लिया गया है। 

मौलिक अधिकार किसे कहते है? | Maulik Adhikar Kise Kahate Hain

Maulik Adhikar वैसे अधिकारों को कहा जाता हैं जो मनुष्य के लिए बेहद जरूरी होते है। ये अधिकार सविधान के द्वारा देश के प्रत्येक नागरिक को दिया जाता है। किस भी सूरत में इसका उलंघन नही किया जा सकता है। यह अधिकार मनुष्य के सम्पूर्ण विकाश के लिए बेहद उपयोगी होते है। राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार कोई भी इन अधिकारों का हनन नहीं कर सकता है। इन अधिकारों को संविधान अपने देश के प्रत्येक नागरिक को स्वत: उपलब्ध कराता है। ये अधिकार नागरिकों का ताकत होता है।

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मौलिक अधिकार की विशेषताएं 

हमारे संविधान में वर्णित सभी मौलिक अधिकार की अपनी विशेषता है। संविधान के द्वारा यह सभी नागरिकों को स्वत: प्रदान किया जाता है। इन अधिकारों का निर्माण देश के प्रजातंत्र को भली भाती चलाने के लिए भी किया गया था। इन मौलिक अधिकारों के मदद से आम इंसान अपने हक के लिए लड़ सकता है।  मौलिक अधिकार की निम्न विशेषताएं है:

  • संविधान के कुछ Maulik Adhikar सिर्फ देश के नागरिकों के लिए होते है, तो वही कई अधिकार सभी के लिए उपलब्ध है। यह बाहरी लोग और बाहरी कंपनिया के लिए भी मान्य होता है। 
  • कुछ मौलिक अधिकारी को छोड़ दे तो बाकी के मौलिक अधिकारों में बदलाव नही किया जा सकता। यह अन्य कानूनों की तरह फ्लेक्सिबल नही होते बल्कि सख्त होते है। 
  • किसी भी मौलिक अधिकार के हनन होने पर देश का कोई भी नागरिक सीधा सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते है। सुप्रीम कोर्ट को मौलिक अधिकार का रक्षक भी कहा जाता है।
  • आर्टिकल 20 और 21 को छोड़ कर सभी मौलिक अधिकार इमरजेंसी के दौरान वापस लिए जा सकते है।
  • मौलिक अधिकार के संबंध में कोई भी कानून सिर्फ पार्लियामेंट में पारित हो सकता है। राज्य सरकार इसमें हस्तछेप नही कर सकती है और नही रोक टोक कर सकती है।

 

मौलिक अधिकार कितने है: Maulik Adhikar Kitne Hain:

हमारे भारतीय संविधान में कुल छः मौलिक अधिकारों का वर्णन है। यह सभी संविधान के तीसरे भाग के अनुच्छेद 12 से 35 में विस्तार से लिखा गया है। हर अनुच्छेद में इसे विस्तार से वर्णन किया गया है। छः मौलिक अधिकार कुछ इस प्रकार से है:

समानता का अधिकार ( Right to equality)

इसका उल्लेख हमे संविधान के पार्ट 3 में आर्टिकल 14 से लेकर 18 तक मिलता है। इसके अनुसार हमारे देश भारत में किसी भी व्यक्ति के साथ धर्म, जाति, लिंग, जन्म के स्थान इत्यादि के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है। हर नागरिक के साथ हर क्षेत्र में जैसे शिक्षा, रोजगार, कार्य स्थल इत्यादि पर एक समान व्यवहार किया जायेगा। हर नागरिक को समानता का अधिकार है। किसी भी तरह से किसी भी व्यक्ति के साथ भेद भाव नही किया जा सकता है।

स्वतंत्रता का अधिकार ( Right to freedom)

हमारे संविधान में अनुच्छेद 19 से लेकर 22 तक स्वतंत्रता का अधिकार का उल्लेख किया गया है। इसके अंतर्गत भारत के हर नागरिक को शिक्षा का अधिकार, बोलने का अधिकार, शांतिपूर्वक विरोध का अधिकार, स्वतंत्र रूप से कही आने जाने का अधिकार समेत हर तरह के आजादी का अधिकार दिया गया है।

शोषण के विरुद्ध अधिकार ( Right against exploitation)

यह हमे अधिकार देता ही की हम किसी भी तरह के शोषण का विरोध कर सके। किसी भी नागरिक का किसी भी तरह का किसी भी व्यक्ति के द्वारा शोषण नही किया जा सकता है। इसका उल्लेख हमे अनुच्छेद 23 और 24 में  मिलता है। इस अधिकार के अंतर्गत 14 वर्ष से कम बच्चो से फैक्ट्री या फिर घर में काम कराने की भी मनाही है। यह हमे अधिकार देता है की हम किसी भी स्थल पर किसी भी तरह का शोषण के खिलाफ आवाज उठा सके।

धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार ( Right to religious freedom)

इसमें हमे धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार मिलता है। इसके बारे में हमारे संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 में लिखा गया है। कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म को अपना सकता है। वह अपने धर्म का प्रचार प्रसार कर सकता है। अपने धर्म से संबंधित कोई भी व्यक्ति धार्मिक स्थल का निर्माण कर सकता है। कोई भी अपने धर्म से संबंधित रिचुअल्स इत्यादि का पालन कर सकता है।

सांस्कृतिक और शिक्षा सम्बन्धित अधिकार ( Cultural and educational rights)

सांस्कृतिक और शिक्षा सम्बन्धित अधिकार, हमे यह अधिकार देता है की हम अपने भाषा, लिपि और संस्कृति का प्रचार प्रसार कर सके तथा इसे आगे बढ़ा सके। इसके बारे में हमे हमारे संविधान में अनुच्छेद 29 और 30 से पता चलता है। हर जाति धर्म को अपना शैक्षणिक संस्थान चलाने का अधिकार है। इसी के अंतर्गत अल्पसंख्यक वर्गो की हितों की रक्षा का भी प्रावधान है। 

संवैधानिक उपचारों का अधिकार (Right to constitutional remedies)

इसे संविधान की आत्मा भी कहा जाता है। इसे सबसे पहले डॉक्टर बी.आर अंबेडकर ने संविधान की आत्मा कहकर संबोधित किया था। इसका विस्तृत उल्लेख हमे अनुच्छेद 32 में मिलता है। किसी भी व्यक्ति को अपने अधिकारों के हनन पर सीधे सुप्रीम कोर्ट जाने का अधिकार मिलता है। इसमें 4 writs का भी उल्लेख किया गया है। जो इस प्रकार है: 

  • बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट याचिका (Habeas Corpus)
  • परमादेश (Mandamus) 
  • प्रतिषेध (Prohibition)
  • उत्प्रेषण लेख (Certiorari)
  • अधिकार पृच्छा  (Quo Warranto)

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